भारत मैं कंप्यूटर
भारत मैं कंप्यूटर का उपयोग बहुत देरी से प्रारम्भ
हुआ| भारत मैं पहला कंप्यूटर सन 1955 मैं कोलकाता में
लगाया गया था, जिसका नाम था HEC-2M भारत मैं सन
1980 तक गिने चुने कंप्यूटर ही थे| 1980 के बाद के दशक में भारत में कंप्यूटर का
उपयोग अचानक बड़ा| इसके दो कारण थे|
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HEC-2M |
1.तीसरी पीड़ी के कंप्यूटरों के साथ
इनपुट/आउटपुट और भण्डारण की सुविधओं का विकास हुआ, जिससे कंप्यूटर का प्रयोग करना
आसन हो गया|
2.कंप्यूटर की कीमत कम और रख-रखाव सरल हो जाने के कारण बड़े-बड़े शैक्षणिक संस्थओं और व्यापारिक संगठनों द्वारा कंप्यूटर लगाना संभव हो गया|
सन 1995 तक कंप्यूटर केवल बड़े व्यापारिक और
सरकारी संस्थओं तक ही सिमित रहे| भारत मैं कंप्यूटर क्रान्ति सन 1995 के बाद ही
आई, जब पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer) सभी के लिए आसानी से उपलब्ध होने लगे
और इनका मूल्य भी छोटें व्यापारियों एव विद्यालयों की पहुच मैं आ गया|
भारतीय
भाषाओ में कंप्यूटरों के उपयोग को बडावा देने के लिए भारत सरकार ने सी-डैक (C-DAC-Center
for Development of Advance Computing) की पुणे में स्थापना की, जिसने जिस्ट(GIST)
तकनीक का विकास करके भारतीय भाषओं में कंप्यूटर कार्य करना सरल बनाया| इस संसथान
ने सुपर कंप्यूटर का भी निर्माण किया है| इसके द्वारा विकसित परम 10000 एक
शक्तिशाली सुपर कंप्यूटर है, जो पूरी तरह एक स्वदेशी तकनीक पर निर्भर है|
आज भारत, कंप्यूटर निर्माण एवं सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट का प्रमुख केन्द्र बन चूका है| चीन के बाद सॉफ्टवेयर निर्यात में भारत का ही स्थान है और यह निरंतर बड रहा है
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