राजीनीतिक सिद्धान्त : अर्थ एव विषय क्षेत्र
राजनितिक सिद्धान्त का अर्थ
-
1) राजनितिक सिद्धान्त “राजनीति” से सम्बंधित सिद्धान्त है2) राजनितिक का संबंध राजनीति के विज्ञान व उसके दर्शन से है3) राजनितिक शब्द अपने आप में व्यापक हैं4) राजनितिक सिद्धान्त राजनीति के सभी पहेलुओं के अध्यन, विश्लेषण, समीक्षा तथा व्यव्हार का विषय हैं5) जिसमे राजनितिक संस्थाओं की संरचना, उनकी कार्यप्रणाली, उनके अंग, उसके लक्ष्य, उनकी कानून मनवाने की शक्ति तथा उनके अन्य व्यवस्थाओं – जैसे आर्थिक, सामाजिक, राजनितिक से संबंध आदि शामिल हैं
राजीनीतिक सिद्धान्त अर्थ एव विषय क्षेत्र | rajnitik siddhant ka mahatva bataye -
राजनितिक सिद्धान्त से सम्बंधित महत्वपूर्ण परिभाषाए –
(i) व्यापक तौर पर राजनितिक सिद्धान्त का अर्थ उन सब बातो से हैं जो की राजनितिक से सम्बंधित अथवा प्रासंगिक हैं | - (सेबाइन)(ii) राजनितिक सिद्धान्त राजनीति की विषयवस्तु की व्याख्या हैं | यह राजनितिक संसार को समझने के लिए एक वैचारिक संरचना है | - (बल्हम)
सिद्धान्त का अर्थ1) सिद्धान्त शब्द की व्युत्पति यूनानी शब्द “थ्योरियों” से हुई हैं |2) “थ्योरियो” का अर्थ हैं | मनन की अवस्था, चिंतन की स्थिति |3) जब हम किसी भी तथ्य को समझने के लिए उस तथ्य प्र मनन करते है तो उसे थ्योरियों अर्थात सिद्धान्त कहा जाता हैं |4) संकीर्ण अर्थ में सिद्धान्त “व्याख्या” के ऊपर नहीं उठता, व्यापक अर्थ में सिद्धान्त में व्याख्या के साथ-साथ “विश्लेषण”, “समीक्षा” तथा आलोचना आदि को भी जोड़ता हैं |सिद्धान्त शब्द के अर्थ में निम्नलिखित विशेषताएं –(i) सिद्धान्त व्यव्हार से अवश्य बनता है, परन्तु उसमे मनन का गुण होना आवश्यक हैं |(ii) सिद्धान्त के अर्थ में व्याख्या के साथ-साथ किसी तथ्य की खोज, निश्चयन परिवर्धन, परिमार्जन आदि विशेताएँ भी होती हैं |(iii) सिद्धान्त “व्याख्या” से कहीं अधिक बड़े स्थान पर विराजमान हैं |
0 Comments
Yogesh Info Updates